सेतु बनाकर सेना संग राम गए जब लंका।
सुन लंका के गलियों में होने लगी ये शंका।।
जिसके नाम का पत्थर भी
सागर पे गया है तैर।
स्वामी तोसे करु विनती
नहीं बढ़ाओ उनसे बैर।।
चमत्कार तो राम के जैसा मैं भी कर सकता हूँ।
पत्थर क्या पूरा पर्वत पानी पर तैरा सकता हूँ।।
एक छोटा टुकड़ा ही
तैराओ जो पानी में।
मैं भी देखू दम कितना
है लंकापति की वाणी में।।
लो मंदोदरी एक पत्थर पानी में अब छोड़ रहा।
सचमुच तैर गया वह मंदोदरी का कर जोड़ रहा।।
कैसे तैरा है चमत्कार कैसा स्वामी मैं भी तो जानूँ।
राज आपके नाम का मैं भी तो पहचानूँ।।
शक्तिरूप सती नारी से सत्य नहीं छुपा पाया।
रावण नाम लिखते मेरे मन में ख्याल आया।।
रा लिखते राम कहा वण लिखते वन जाए।
विनयचंद इस रामरुप को भला कौन डूबा पाए।।……… . पं़विनय शास्त्री
Jai Shree Ram 🙏🙏 Nice ji
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Very nice
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Jai Shree Ram…shubhamastu
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